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आम का पेड़ और वो Aam Ka Ped Our Wo Hindi Story एक दिल छु लेनेवाली कहानी जरुर पढ़े

❆ . आम का पेड़ और वो लड़का . ❆
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Aam ka ped Aur Wo Ladka Hindi Katha
Hindi kahani in Hindi Fonts katha story
र्हदयस्पर्शी कथा
.
एक छोटे बालक को आम का पेड बहोत पसंद था।
जब भी फुर्सत मिलती वो तुरंत आम के पेड के पास
पहुंच जाता।
पेड के उपर चढना, आम खाना और खेलते हुए थक जाने पर
आम की छाया मे ही सो जाना।
बालक और उस पेड के बीच एक अनोखा संबंध बंध गया था।
*HINDI KATHA HINDI KAVITA HINDI JOKE
* HINDI SHAYRI HINDI KAHANI HINDI POST
बच्चा जैसे जैसे बडा होता गया वैसे वैसे उसने पेड के पास आना
कम कर दिया।
कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया।
आम का पेड उस बालक को याद करके अकेला रोता रहता।
एक दिन अचानक पेड ने उस बच्चे को अपनी और आते देखा।
आम का पेड खुश हो गया।
*
बालक जैसे ही पास आया 
तुरंत पेड ने कहा, "तु कहां चला गया था?
मै रोज़ तुम्हे याद किया करता था। चलो आज दोनो खेलते है।"
बच्चा अब बडा हो चुका था, उसने आम के पेड से कहा,
अब मेरी खेलने की उम्र नही है।
मुझे पढना है,
पर मेरे पास फी भरने के लिए पैसे नही है।"
पेड ने कहा, "तु मेरे आम लेकर बाजार मे जा और बेच दे,
इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।"
*
उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम उतार लिए,
पेड़ ने भी ख़ुशी ख़ुशी दे दिए,और वो बालक उन सब आमो को लेकर
वहा से चला गया।
*
उसके बाद फिर कभी वो दिखाई नही दिया।
आम का पेड उसकी राह देखता रहता।
एक दिन अचानक फिर वो आया और कहा,
अब मुझे नौकरी मिल गई है, मेरी शादी हो चुकी है,
मेरा संसार तो चल रहा है पर मुझे मेरा अपना घर बनाना है
इसके लिए मेरे पास अब पैसे नही है।"
*
आम के पेड ने कहा, " तू चिंता मत कर अभी में हूँ न,
तुम मेरी सभी डाली को काट कर ले जा,
उसमे से अपना घर बना ले।"
उस जवान ने पेड की सभी डाली काट ली और ले के चला गया।
*
आम का पेड के पास कुछ नहीं था
वो  अब बिल्कुल बंजर हो गया था।
कोई उसके सामने भी नही देखता था।
पेड ने भी अब वो बालक/ जवान उसके पास फिर आयेगा
यह आशा छोड दी थी।
*
फिर एक दिन एक वृद्ध वहां आया। उसने आम के पेड से कहा,
तुमने मुझे नही पहचाना, पर मै वही बालक हूं
जो बारबार आपके पास आता और आप उसे हमेशा
अपने टुकड़े काटकर भी मेरी मदद करते थे।"
आम के पेड ने दु:ख के साथ कहा,
"पर बेटा मेरे पास अब ऐसा कुछ भी नही जो मै तुझे दे सकु।"
वृद्ध ने आंखो मे आंसु के साथ कहा,
"आज मै कुछ लेने नही आया हूं,
आज तो मुझे तुम्हारे साथ जी भरके खेलना है,
तुम्हारी गोद मे सर रखकर सो जाना है।"
*
ईतना कहते वो रोते रोते आम के पेड से लिपट गया
और आम के पेड की सुखी हुई डाली फिर से अंकुरित हो उठी।
*
वो वृक्ष हमारे माता-पिता समान है,
जब छोटे थे उनके साथ खेलना अच्छा लगता था।
जैसे जैसे बडे होते गये उनसे दुर होते गये।
पास तब आये जब जब कोई जरूरत पडी, कोई समस्या खडी हुई।
आज भी वे माँ बाप उस बंजर पेड की तरह अपने बच्चों की राह देख रहे है।
आओ हम जाके उनको लिपटे उनके गले लग जाये
जिससे उनकी वृद्धावस्था फिर से अंकुरित हो जाये।
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यह कहानी पढ कर थोडा सा भी किसी को एहसास हुआ हो
और अगर अपने माता-पिता से थोडा भी प्यार करते हो तो...
please अपने माँ बाप को कभी तकलीफ मत देना
.
उनको हर वो ख़ुशी देने की कोशिश करना जैसे वो
बचपन में तुम्हे ख़ुशी देंते थे ।
उनसे कभी गुस्सा मत करना क्योंकि
माँ बाप आपको सिर्फ प्यार प्यार और प्यार ही देंते है ।
अगर इस कहानी ने आपके दिल को जरा सा भी
छुआ हो तो शेयर करे ।
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