जुदाई शायरी | (Separation poetry)
दोस्तो की जुदाई का गभ ना करना,
दुर रहो तो भी दोस्ती कम ना करना,
अगर मिले जिँन्दगी के किसी मोड पर हम,
तो हमे देख कर अपनी आँखे बन्द ना करना।

हर सांस के साथ याद करता ह कोई,
मौत तो ऐसी चीज़ हे जिसको आना ही हे…
लेकिन तेरी जुदाई मे हर रोज मरता हे कोई

प्यार से नही तो रुसवाई से डरता हुँ,
मिलने की उमंग बहुत होती है,
लेकिन मिलने के बाद तेरी जुदाई से डरता हुँ ।

मिल जाये खुसी इंकार किसको हैं
कुछ मजबूरिय हैं मेरे दोस्त
वरना जुदाई से प्यार किसको हैं

दिल वो बेमेहर कि रोने के बहाने मांगे
हम न होते तो किसी और के चर्चे होते
खिलकते शहर तो कहने को फसाने मांगे
यही दिल था कि तरसता था मरासिम के लिए
अब यही तर्के तअल्लुक के बहाने मांगे

दिल के कोने में नाम है तुम्हारा
हर याद मैं है चेहरा तुम्हारा
हम साथ नहीं तो क्या हुआ
ज़िन्दगी भर प्यार निभाने का वादा है हमारा

आंख पत्थर हुई, अश्क आबशार हुआ

चांद के बिन ये फलक भी दागदार हुआ

कट गई उम्र हमें प्यार करना नहीं आया;
उसने कुछ माँगा भी तो मांगी जुदाई;
और हमें इंकार करना नहीं आया।

हम उनको बूहात चहाते है, पर वो हम से क्यो नही कहते है,
क्यो हम से इतना दूर-दूर रहते है …

किसी की यादो मे कोई बदनसीब रोता है,
खुदा किसी को मोहब्बत पे फिदा ना करे,
अगर करे तो किसी को जुदा ना करे
